श्रीराम स्तुति (श्रीराम चंद्र कृपालु भजु मन)
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास श्रीराम चंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं। नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज, पद कंजारुणं।। कन्दर्प अगणित अमित छवि, नवनील-नीरद सुन्दरं । पट पीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नौमि जनक-सुतावरं ॥२॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं । रघुनन्द आनन्दकन्द कोशलचन्द दशरथ-नन्दनं ॥३॥ सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं । आजानु … Read more